बुन्देली गायिका को सम्मानित करते
बुंदेली भाषा व संस्कृति को बनाया जाए जन जन का हिस्सा
कुल पहाड। बुंदेली गायन की युवा सनसनी लोकगायिका कविता शर्मा को नगर में एक भव्य कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कविता ने अपने सुरीले कंठ से लोकगीतों की ऐसी मनमोहक प्रस्तुति दी कि समूचा सभागार तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा।
बुंदेली बौछार द्वारा भोपाल में आयोजित बुंदेली समागम में बुंदेली आइडल में उपविजेता रहीं छतरपुर की लोकगायिका कविता शर्मा को पीताम्बरा पैलेस में आयोजित सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार व शिक्षाविद राकेश कुमार अग्रवाल ने बुंदेली भाषा के साथ यहां की कला, संस्कृति व खानपान को भी सभी से अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आमंत्रण व निमंत्रण पत्रों को बुंदेली भाषा में छपवाया जाए।
जब भी कहीं पर कोई भोज का आयोजन हो तो बुंदेली व्यंजनों को जरूर पकवानों में शामिल किया जाए। बुंदेलखंड एकीकृत संगठन के अध्यक्ष संदीप पांडे ने बुंदेली को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए सभी को आगे आने का आह्वान किया।
इस अवसर पर लोकगायिका कविता शर्मा ने अपने सुपरहिट लोकगीत दोना अपने संगे काए नईं ल्याए की प्रस्तुति से सभी को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। बता दे कि कविता शर्मा अपने लोकगीत से बुंदेलखंड की युवा सनसनी बन गई हैं। उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि सोशल मीडिया पर उनके बुंदेली गाने को पिछले तीन दिनों में सर्वाधिक देखा और सुना गया है।
छतरपुर की मूल निवासी एवं भोपाल में वर्तमान में निवास कर रही कविता शर्मा को बचपन से गायकी का शौक रहा है। उन्होंने बुंदेलखंडी जो उनकी मातृभाषा है, इस क्षेत्र में आगे बढ़ना शुरू किया है।
कार्यक्रम में उन्होंने अपने कई लोकप्रिय गाने सुनाए। जिसे उपस्थित लोगों ने जमकर सराहा। कार्यक्रम में बुंदेली भाषा को आगे बढ़ाने पर चर्चा की गई। इस दौरान भरत त्रिपाठी, संदीप पांडे, आनंद यादव, बृजेंद्र द्विवेदी, सुनील नहर विजय साहू, मानवेन्द्र सिंह, राहुल अग्रवाल, शोभित सोनी, डॉ. भुवनेन्द्र द्विवेदी, राकेश भट्ट समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।फोटो 06 फसलें लेकर प्रदर्शन करते किसानवर्वाद हुई फसल लेकर किसानों ने तहसील में किया प्रदर्शनचरखारी। वर्षों से सूखे व अतिवृष्टि की विभीषिका झेल रहे बुंदेलखंड के किसानों को इस बार भी कम वारिस होने तथा कीटों के प्रभाव के कारण खरीफ की फसलें वर्वाद हो गई हैं।
जिस पर किसानों ने वर्वाद फसल लेकर तहसील में पहुंचकर प्रदर्शन कर मुआवजा दिलाये जाने की मांग की है। बता दे कि बुन्देलखण्ड का किसान पिछले एक दशक से लगातार प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेल रहा है। कभी अतिवृष्टि, कभी सूखा, कभी ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोडकर रख दी है। इस वर्ष भी बारिश न होने के कारण कियानों की फसलें वर्वाद हो गई।
जिय पर रिवई ग्राम के आधा सैकड़ा से अधिक किसानों ने अपनी खराब हो चुकी उर्द, तिल, मूंग एवं मूगफली की पौधों के साथ तहसील चरखारी में पहुंचकर प्रदर्शन करते हुये अपर जिलाधिकारी रामप्रकाश को ज्ञापन सौंपकर प्रशासन से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा, बीमा दिलाने की मांग की। जिस पर एडीएम रामप्रकाश ने खराब हुयी फसलों का सर्वे कराने का आश्वाशन दिया है।
किसान मलखान सिंह, लोकनाथ, अरुण, देवपाल, रमेश, रामचरन, अमरचंद आदि ने बताया कि यदि बर्बाद फसल का मुआवजा नहीं दिया जाता है, तो क्षेत्र के किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच जायेगें।