वृद्ध की मौत पर रोते बिलखते परिजन स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही के कारण हुई वृद्ध की मौत एक घण्टे बाद भी नही मिला शव वाहन, आटो में
ले गये शव चिकित्साधिकारी व प्रभारी चिकित्साधिकारी से बात करने पर वह भडके
महोबा। जिला चिकित्सालय में स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही के चलते 60 वर्षीय वृद्ध की मौत हो गयी है। मृतक की पत्नी ने स्वस्थ कर्मियों पर लापरवाही करने का आरोप लगाया है। वही वृद्ध की मौत होने के एक घण्टे बाद भी शव वाहन न मिलने के कारण पीड़ित महिला को ऑटो में शव को ले जाना पड़ा। जिससे मृतक के परिजनों में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के प्रति नाराजगी बनी हुई है।
बता दे कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आमजन को स्वास्थ सुविधाओ का लाभ दिलाने के लिए प्रयारथ रहती है। बीते दिवस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राममनोहर लोहिया आयुर्वेदिक संस्थान के चतुर्थ स्थापना दिवस समारोह में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कहा था कि पूर्व में ब्यवस्थाओ के कारण अक्सर लोगो की मौते हो जाया करती थी।
पर उनके शासन काल के मृत्यु दर शून्य नजर आती है। आने वाले पांच वर्षों में डॉक्टरों की कमी की भी पूर्ति कर ली जाएगी। जिससे उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधायें सबसे अच्छी होगी।
एक तरफ योगी सरकार स्वस्थ ब्यवस्था को लेकर चिंतित है, तो वहीं कुछ स्वस्थ विभाग के अधिकारियों कर्मचारियो की लापरवाहियों के चलते लोगो को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रही है, जिसके कारण आज भी लोगो की इलाज के दौरान मौत हो जाती है।
जब इस संबंध में जिम्मेदारो से बात की जाती है तो वह मामले में बात करना भी मुनासिब नही समझते है। ऐसा ही एक मामला जिला चिकित्सालय में देखने को मिला, जब मुख्यालय के मोहल्ला माथुरनपुरा हाल निवास कांशीराम कालोनी राठ रोड निवासी देवकी नंन्दन पुत्र देवीदीन अनुरागी 60 वर्ष की रविवार की सुबह अचानक उल्टी दस्त होंने से उनकी तबियत बिगड़ गयी।
जिन्हें पत्नी की मदद से जिलाचिकित्सालय के बार्ड नम्बर एक मे भर्ती कराया। जहां उसकी अचानक सांस भरने लगी। जिस पर स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा उन्हें ऑक्सीजन लगाने की कोशिश की गई, पर ऑक्सीजन सफ्लाई लाइन ठीक न होने तथा उसके प्वाइंट में बिजली सप्लाई खराब होने के चलते ऑक्सीजन नही लगाई गई। जिस कारण वृद्ध की मौत हो गयी।
मृतक की पत्नी ने स्वस्थ विभाग कर्मियों की लापरवाही व ऑक्सीजन लाइन खराब होने के चलते ऑक्सीजन न लगाने के कारण मौत हो जाने का आरोप लगाते हुये कहा कि अगर ऑक्सीजन सही होती तो मेरे पति की मौत नही होती।
इतना ही नही मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों द्वारा एक घण्टे इंतजार करने के बाद भी उसे शव वाहन भी उपलब्ध नही हो सका। जब मृतक के सगे संबंधी आये, तब जाकर वार्ड से शव को निकाल कर ऑटो वाहन में शव को घर ले जाया गया।
जब इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आशाराम से बात की गई, तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि जिला चिकित्सालय के प्रभारी से बात करने की बात कही। जब जिला चिकित्सालय के प्रभारी डॉ0 पवन अग्रवाल से बात की गई तो वह आग बबूला हो गये और कहा कि फालतू की बात मत करो। इस मामले में स्टॉप से बात करो।
जब उनसे जिला चिकित्सालय के प्रभारी होने की बात याद दिलाई गई तो उन्होंने पत्रकारो को अस्पताल के प्रभारी बनने व अस्पताल चला लेने की बात कही। इस बात पर पुनः जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी से बात की गई तो उन्होंने 4 बार मोबाइल द्वारा कॉल की इसके बाद भी उनका फ़ोन रिसीव नही हुआ।