हौंसले फिरहाल बुलन्दी पर फिर भी संघर्ष से कोसों दूर है कमज़ोर मन के स्थानीय सपा नेता

गायब हो गये बड़े सपा नेताओ की लोकसभा परिणामों ने कराई वापसी, सपा सुप्रीमो के जन्मदिन पर लगा जमावड़ा

गायब हो गये बड़े सपा नेताओ की लोकसभा परिणामों ने कराई वापसी, सपा सुप्रीमो के जन्मदिन पर लगा जमावड़ा

ललितपुर (सम्भव सिंघई) लोकसभा चुनावो में अपेक्षा से अधिक सीटे पा चुके सपा कार्यकर्ताओं के हौसले फिरहाल बुलन्दी पर है जिसका असर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के जन्मदिन के अवसर पर प्रदेश भर के साथ ललितपुर में भी देखने को मिला। शहर भर में सपा सुप्रीमों को जन्मदिन की शुभकामनाये देते होर्डिग बैनर हाल ही में सम्पन्न हुई लोकसभा चुनावों में गठबंधन प्रत्याशी को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। जिनकी अब चर्चा भी हो रही है जनचर्चा यह है कि जिस सपा में लोकसभा चुनावो में कार्यकर्ताओ का अकाल नजर आ रहा था अब वहां कार्यकर्ता भरे पडे दिखायी दे रहे है।
सोमवार को स्थानीय समाजवादी पार्टी कार्यालय पर अखिलेश यादव के 51 वे जन्मदिन को मनाने को सैकडो कार्यकर्ता नजर आये। पि‌छले विधानसभा चुनावो के बाद अब एकाएक सपा कार्यकर्ताओ का स्थानीय कार्यालय पर लगता जमावड़ा लोकसभा में मिली बडी सफलता मिलने के बाद देखने को मिला। ऐसे में तमाम सवालो का उठना लाजमी है।

चुनावो में गायब हो गये बड़े नेताओ की लोकसभा परिणाम ने कराई वापसी

लोकसभा चुनावो में सपा के कई बडे नेताओ ने मान लिया ‌था कि अब सपा पूरी तरह से उत्तर प्रदेश से साफ होने की स्थिति में है सपा के दिग्गज नेताओ ने अपना अपना आंकलन और सूबे में भाजपा सरकार की मौजूदा स्थिति को भापते हुये कई स्थानो पर या तो सरेंडर कर दिया था या फिर भाजपा के पक्ष मे काम करने लगे थे। ऐसा उन्होंने अपने व्यापार को सुरक्षित रखने के लिये किया था पर लोकसभा चुनावो में आये चौकाने वाले परिणामों ने उन्हे फिर सपा की ओर मोड दिया और इसी चौकाने वाले परिणाम का असर सपा सुप्रीमो अखिलेश के जन्मदिन में उक्त सपा नेताओ की उपस्थिति से साफ नजर आया।

संघर्ष से कोसों दूर है सपा के नये नवेले नेता

सूबे में सपा की क्या स्थिति है यह सपा कार्यकर्ताओं के संघर्ष को देख कर आप आराम से बता सकते है सूबे में एक मात्र सपा कार्यकर्ता ही है जो मजबूत विपक्ष बनाये हुये है पर ललितपुर में सपा कार्यकर्ता संघर्ष से कोसों दूर है जिसका कारण नये नवेले सपा नेताओ को सौपी कई पार्टी की कमान है नये नवेले नेताओं मे पुलिस का खौफ इस हद तक भरा हुआ ‌है कि वे सामान्य से सामान्य मुद्दो पर भी सडक पर आने से कतराते है ऐसे में हालात यह है कि जब सपा नेता सड़क पर नही आ रहे तो कार्यकर्ताओं से उम्मीद ही क्या की जा सकती है।

ललितपुर में पीने के पानी और लाईट के मुद्दे को भी नही भुना पाये सपाई

ललितपुर में सालों सही चली आ रही पानी और लाइट की व्यवस्था लोकसभा चुनावों के ऐन पहले ऐसी बिगड़ी की लोगो का हाल बेहाल कर गई। ऐसे में लोग एक बार नही कई बार सड़कों पर उतरे पर ललितपुर में मजबूत विपक्ष के अभाव में वे आन्दोलन सफल नही हो सके। ऐसे में सपा नेता चाहते तो लोगो की आबाज बन कर एक मजबूत विपक्ष की नींव रख सकते थे पर कमज़ोर मन के स्थानीय सपा नेताओं ने लोगों की आवाज़ को सुन कर अनसुना कर दिया। एक हाथ आये मुद्दे को नौसीखिये सपा नेता भुनाने में पूर्णतः असफल रहे, जिसका नुकसान गठबंधन प्रत्याशी को चुकाना पडा।

सपा के बडे चेहरे चन्द्रपाल की मुख्यमंत्री मोहन यादव से नज़दीकी ने तोडा कार्यकर्ताओ का मनोबल

लोकसभा चुनावो में गठबंधन प्रत्याशी को बीच चुनावों में अकेला छोड सपा के बड़े चेहरे चन्द्रपाल यादव दिल्ली कूच कर गये। मतदान के ठीक पहले उनके भाजपा नेता के पक्ष में लामबंद होने की खबरो ने सपा कार्यकर्ता का मनोबल बुरी तरह तोड दिया, रही सही कसर चन्द्रपाल यादव की मध्यप्रदेश के नये नवेले मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ खाना खाती तस्वीरों ने पूरी कर दी। इस सब को देख संघर्ष की स्थिति में आ रहा सपा कार्यकर्ता फिर घरों की ओर लौट गया जिसके चलते अखिलेश यादव के हाथ आ रही ललितपुर झांसी सीट उनके हाथ से फिसल गई।

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